पत्रकार बंधुओं खासकर बठिंडा प्रेस क्लब से जुडे़ समय के साथ बदलते पत्रकार बंधुओं मैं एक बार फिर आपसे मुखातिब हूं। काफी समय तक इस ब्लाग में कुछ लिख नहीं सका लेकिन अब लगातार लेख आप तक पहुंचाने की कोशिश करुगा। बुरा समय हर किसी पर आता है भगवान न करे आप पर भी कभी बिना बुलाई मुशिबत आए। अगर आपको लगता है कि कोई आपके खिलाफ साजिश रच रहा है और कभी भी आप पर कोई समस्या आ सकती है तो भूले से भी बठिंडा प्रेस के बंधुओं से किसी तरह की उम्मीद न करना क्योंकि इन्हें आजकल बठिंडा प्रेस क्लब की इमारत बनाने की चिंता ज्यादा है और पत्रकार पर अगर किसी तरह की मुशि्बत आ जाए तो इनके पास आपकी सहायता करने का समय नहीं है। मैं यहां इस तरह की चरचा क्यों कर रहा हूं आप भी सोच रहे होंगे पर यह जरूरी है क्योंकि बठिंडा प्रेस क्लब किसी की नीजि जायदाद नहीं है जो अपने हिसाब से इसे चलाएगा, प्रेस क्लब का काम क्या है पहले यह पत्रकार बंधु स्पष्ट करे जो इस एसोएशन का संचालक करने का खोखा दावा कर रहे हैं, गिनती के चार बडे़ अखबार के प्रतिनिधि एक मंच में इकट्ठा हो गए तो क्लब नहीं बनती है, इसके लिए तन और मन भी जरूरी होता है। मैं हरिदत्त जोशी पत्रकारिता के क्षेत्र में १७ साल से काम कर रहा हूं बठिंडा का कोई नवेला ही पत्रकार होगा जो मुझे नहीं जानता है। पूरा जीवन पत्रकारिता और इसके सिद्वातों के लिए निकाल दी, शहर में कोई सख्श कह दे कि मैने काली पत्रकारिता को प्रोत्साहन दिया या फिर किसी से फूटी कोडी़ ली हो, मेरा यही कसूर है कि मैने कभी काली पत्रकारिता करने वालो का साथ नहीं दिया, रात के समय उनकी महफिलों में जाकर हंगामा नहीं किया या फिर शराब पीकर अपनी जेब दूसरो के लिए खाली नहीं की है। भाई लोगों मैं दूसरे से अलग हूं और जीवन भर रहूंगा, इसे न तो अाप बदल सकते हैं और न ही मुझ पर पड़ने वाली मुशिकले इस राह तो बदल सकती है। अब मुझसे रंजिश रखने वाले व मेरे कायदो से दुखी लोग मेरे खिलाफ जो चाहे कहे उससे मुझे कोई परवाह नहीं न ही इससे मुझे कोई असर पड़ता है।
अब जहां तक बठिंडा प्रेस क्लब की बात है उसमें मैं इतना जरूर कहूंगा कि वह बिना सिर पैर का संगठन है जो किसी विरष्ठ संवाददाता की समस्या में केवल अपना और प्रशासन का पक्ष सुनता है उसे पत्रकार का पक्ष सुनने और उसकी बात कहने की जरूरत महसूस नहीं होती है। अनुशासन समिति, सदस्यता सिमित बनाकर स्वयं को मजबूत कहने वाले अपने गिरेबान में जरूर झांके, उन्होंने हरिदत्त जोशी प्रकरण में क्या किया? वह कहां तक जायज थे। कल शहर का कोई भी आदमी किसी पत्रकार के दामन में कोई भी दाग लगा देगा और प्रेस क्लब इसे मानकर उसका साथ छोड़ देगी इसका जबाब हर पत्रकार को चाहिए। किसी का दामन साफ नहीं है, मुझ पर तो आरोप ही लगे तो यह मेरा दम था कि मै इसमें अकेले के दम पर साफ सुधरा बाहर निकला, अह प्रेस क्लब का प्रतिनिधित्व कर रहे लोगों की बात करे तो दिल में हाथ रखकर बताए कि वह कितने पाक और साफ है। कई पर तो संगीन अपराध करने तक के आरोप लगे हैं। साहब समय है अभी भी प्रेस क्लब की कारगुजारी सुधार लो, नियम स्पष्ट कर लो ताकि फिर से कोई वरिष्ठ पत्रकार या फिर नए पत्रकार को मेरे जैसी समस्या से दो चार न होना पडे़। मै तो प्रभु की रहम से इस साजिश से बाहर आ गया पर आपका क्या होगा जिनके पास एकथाना प्रभारी तक की सिफारिश नहीं होगी क्योंकि किसी भी अखबार का लाला आरोप लगते ही अखबार से बाहर का रास्ता दिखाने में देर नहीं लगाता है। जय हो बठिंडा के पत्रकार बंधुओं की.........
आपका अपना---हरिदत्त जोशी
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