स्वभाव सदा खुशदिल होना चाहिए। चेहरे पर मुस्कान और आनन्द खिला रहना चाहिए। इससे व्यक्तित्व का विकास होता है। खुशदिल व्यक्ति को सभी लोग मानते हैं। प्रसन्नचित्त और सतत् मुस्कान के साथ-साथ गम्भीरता, विचारशीलता, मर्यादा और प्रसंगशीलता का पुट भी मिला रहना चाहिए।
हमें करुणावश दूसरों के लिए कार्य नहीं करना है परन्तु मनुष्य की सेवा का भाव होना चाहिए, क्योंकि मनुष्य ही भगवान शिव का सत्-स्वरुप है।
कुछ समझें सब ओर कुछ, फिरते बेपरवाह।
कर्म जो दुनिया में किये, बनते वही गवाह।।
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