रविवार, 29 अगस्त 2010

यह 'इमोशनल अत्याचार' है या सेक्स अत्याचार!

Saturday, 28 August 2010 18:09 मीनाक्षी शर्मा भड़ास4मीडिया -

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आजकल 'बिंदास टीवी' पर प्रसारित कार्यक्रम 'इनोशनल अत्याचार' अश्लीलता का अखाड़ा बना हुआ है. विशेषकर युवा वर्ग, जो कि खुद इस कार्यक्रम के केंद्र में है, इस प्रोग्राम को लेकर काफी उत्सुक दिखता है. क्या यह कार्यक्रम सच में किसी पर हुए 'इमोशनल अत्याचार' को दिखाता है? प्रोग्राम को किसी भी दृष्टिकोण से देखकर ऐसा तो नजर बिल्कुल नही आता, इसे देखकर तो यही लगता है कि यह केवल सेक्स की बात ही दर्शकों को दिखाता है. हर एपिसोड में एक लड़का और लड़की केवल किस करते या सेक्स की बातें ही करते नजर आते हैं. भावानाएँ तो कहीं भी नजर नहीं आती है?
क्या आज के युवा इतने बेवकूफ हैं कि एक दो बार मिली किसी भी लड़की या लड़के से बस सेक्स के बारे में ही बात करते हैं. और कोई भी लड़का किसी भी लड़की से 4-5 तमाचे खाने के बाद भी हँसता रहता है, क्या सच में ऐसा होता है?  हम क्या दिखा रहे हैं टीवी पर युवाओं को, अगर यही दिखाना है तो इसका नाम बदल देना चाहिए. कम से कम इमोशन के नाम पर सेक्स की बातें तो नहीं देखने को मिलेगी, और अगर यह कार्यक्रम इसी नाम से दिखाना है तो चैनेल पर कम से कम इसके प्रसारण का समय तो बदल ही देना चाहिए. देर रात इसे दिखा सकते हैं. कम से कम किशोर बच्चे तो इसे देखने से बचेंगे.
कार्यक्रम के निर्माता का कहना है कि आज के युवा बहुत ही प्रैक्टिकल व पाजिटिव हैं. उनको अपनी किसी भी भावना को दिखाने में किसी भी तरह की कोई शर्म नही आती. और उन्हें सच कहने में किसी भी प्रकार की कोई शर्म नही आती है. 'इमोशनल अत्याचार' का सीजन टू आरम्भ हो चुका है और पहले ही एपिसोड के बाद इस चैनेल की लोकप्रियता और भी बढ गयी है. क्या यह सब केवल अपने चैनेल की लोकप्रियता बढाने के लिए ही है. कार्यक्रम के होस्ट प्रवेश राना व लड़कियों के बीच भी कुछ ऐसी बातें होती हैं जिन्हें अनजान लोग आपस में शायद नहीं कर सकते हैं. लड़कियां भी ऐसी-ऐसी बातें व गाली देती हैं जिनको छिपाने के लिए बीप की बार बार आवाजे आती हैं. क्या यह सच में इमोशनल अत्याचार है या सेक्स अत्याचार?

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