संजय अग्रवाल कोर्ट से स्टे लाए : आरएनआई में आपत्ति खारिज हो गई थी : आरएनआई के खिलाफ कोर्ट गए थे संजय : दैनिक भास्कर, रांची व जमशेदपुर में लांचिंग पर फिर काले बादल मंडराने लगे हैं. अभी-अभी खबर मिली है कि दिल्ली हाईकोर्ट ने आरएनआई के उस आदेश पर फिलहाल रोक लगा दी है जिसमें आरएनआई ने भास्कर की रांची व जमशेदपुर में लांचिंग को ओके कर दिया था और लांचिंग रोकने संबंधी आब्जेक्शन को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि पीआरबी एक्ट में उल्लखित आधारों पर लांचिंग रोकने संबंधी कोई नियम नहीं है.
सूत्रों के मुताबिक दिल्ली हाईकोर्ट ने जो आदेश दिया है, उसकी कापी अभी तक मिल नहीं पाई है और यह भी पता नहीं चल पाया कि आदेश में मूलतः क्या कहा गया है. पर जो खबरें छन कर आ रही हैं उनके मुताबिक भास्कर के मालिकों में से एक संजय अग्रवाल के आब्जेक्शन को निरस्त करने संबंधी आरएनआई के आदेश को हाईकोर्ट ने फिलहाल रोक दिया है. इस तरह से भास्कर की रांची व जमशेदपुर में लांचिंग का मामला टल सकता है, लटक सकता है, लंबा खिंच सकता है या रद भी हो सकता है.
ज्ञात हो कि भास्कर के मालिकों में से एक, संजय अग्रवाल, जिन्हें यूपी व उत्तराखंड इलाके में भास्कर के संचालन का सर्वाधिकार प्राप्त है, ने रमेश चंद्र अग्रवाल और उनके पुत्रों की कंपनी डीबी कार्प के बिहार व झारखंड में दैनिक भास्कर लांच करने संबंधी प्रयास को चुनौती दी थी. पटना व रांची समेत कई जिलों में, जहां डीबी कार्प ने भास्कर निकालने के लिए डिक्लयरेशन फाइल किया था, वहां वहां संजय अग्रवाल ने यह कहते हुए आब्जेक्शन फाइल किया था कि भास्कर ब्रांड के कई मालिक हैं और बिना सभी की सहमति के डीबी कार्प को किसी नई जगह से अखबार लांच करने का अधिकार नहीं है.
संजय के आब्जेक्शन पर संबंधित जिलों के जिलाधिकारियों ने पूरे मामले को आरएनआई के हवाले कर दिया था. आरएनआई ने मामले को लटकाये रखा और एक तरह से डीबी कार्प की तरफदारी करते हुए उन्हें सुझाव दिया था कि वे लोग बिहार - झारखंड के किसी भी जिले से गुपचुप ढंग से डिक्लयरेशन हासिल कर लें व उसी आधार पर हर जगह से प्रकाशन शुरू कर दें. जब इसकी भनक संजय अग्रवाल को लगी तो उन्होंने आरएनआई में जाकर विरोध दर्ज कराया और इस आशंका से सभी को अवगत कराया कि डीबी कार्प के लोग बिहार झारखंड के किसी भी जिले से गुपचुप ढंग से डिक्लयरेशन हासिल कर अखबार का प्रकाशन शुरू कर सकते हैं, जो गलत होगा.
बताया जाता है कि आरएनआई ने जो फैसला सुनाया वह डीबी कार्प के अनुकूल था. इस फैसले में संजय अग्रवाल की आपत्तियों को पीआरबी एक्ट का हवाला देते हुए खारिज कर दिया गया था. तब संजय अग्रवाल आरएनआई के खिलाफ हाईकोर्ट गए और अब सूचना है कि हाईकोर्ट ने आरएनआई के आदेश पर स्टे दे दिया है. इस पूरे मामले पर संजय अग्रवाल का कहना है कि उनके हाथ में अभी तक कोई आदेश आया नहीं है इसलिए वह आन रिकार्ड कुछ कहने की स्थिति में नहीं है. कोर्ट के आदेश की कापी देखने के बाद ही वे कुछ कहने की स्थिति में होंगे. भास्कर के आंतरिक झगड़ों से संबंधित अन्य खबरें पढ़ने के लिए नीचे, कमेंट बाक्स के ठीक नीचे, दिए गए शीर्षकों पर क्लिक करें.
-सौ. भडास फोर मीडिया
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